Mansi savita

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लेखनी प्रतियोगिता -21-Dec-2022

धन दौलत में अकड़ते देखो,पैसों में ही पागल है
स्वार्थी नही लोभी देखो लालच से सब हासिल किया
दुनिया में कमाया नही कुछ पिता के पैसे से सब ऐश किए
जाने कितने नशे किए और खुद को अच्छा पेश किया
न की चिंता एक पिता की बस अपना धौंस दिखाते रहे
रुपए मौज  में चलती जिंदगी दोस्तो ने भी बहुत साथ दिए 
पैसों में सब खरीद सकते बन जाते अभिमानी से
होती नही किसी की चिंता रूपये जेब में है जेब नही अभी खाली सी
भाईयो दोस्तो का साथ है तो काहे की परेशानी होगी
रुपयों के साथी है सब देखो बन जाते अज्ञानी से
लोभ लालच में पड़ पिता से अपना हक मांगते है
उनके व्यापार को बैठ उधार उधार कर बिगाड़ते है
जो कमाई इज्जत बरसो से किया व्यापार इतना मजबूत
अब नही है ये व्यापार आपका घर में है जगह सही
क्यों करते हो अपनी मनमानी मत दो मुझको ज्ञान सही
संपति में हक के लिए लड़ते है घर घर को अलग करते है
इतनी संपत्ति है पर बर्बाद बहुत वो करते है
लेट नाइट पार्टी में एक दिन की कमाई उड़ाते है
मां बाप उदास हो जाते कुछ कह भी नही पाते है
जिस लाड से पाला था बेटे को कहते थे सब तेरा है 
मुसीबत न साथ मिला पकड़ा बेटी ने हाथ मेरा
दौलत में अभिमानी बहुत ,करता नही इज्जत सबकी
कब तक खाके ऐश करोगे घमंड में होगे चकनाचूर कभी
संसार में लेके नही जाते  दौलत जाएंगे तो बस कर्म सही
फिर भी इतना इतराते है रिश्तों का कोई मोल नहीं
          धन दौलत से ज्यादा अहम है
                        रिश्ते
           

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3 Comments

Sachin dev

22-Dec-2022 05:48 PM

Well done

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Abhilasha deshpande

21-Dec-2022 09:19 PM

Bahot acchi rachna

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Gunjan Kamal

21-Dec-2022 08:42 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻

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